केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि इस महीने से 500 से अधिक दवाएं 12% तक महंगी हो जाएंगी.
मंत्रालय ने माना है कि WPI यानी व्होलसेल प्राइस इंडेक्स में बढ़ोतरी के आधार पर 54 दवाएं महंगी होंगी, लेकिन इनमें भी महज 1 पैसे (0.01 Rs.) की मामूली बढ़ोतरी होगी.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि WPI में 0.00551% की बढ़ोतरी के बावजूद 782 दवाओं के लिए अधिकतम मूल्यों (Prevailing Ceiling Prices) में कोई बदलाव नहीं होगा.
PIB की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर कहा, 'कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में प्रमुखता से कहा गया है कि अप्रैल, 2024 से दवा की कीमतों में 12% तक की भारी बढ़ोतरी होगी और इस बढ़ोतरी से 500 से अधिक दवाएं प्रभावित होंगी. ऐसी खबरें झूठी, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण हैं.'
NPPA हर साल करता है संशोधन
मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स डिपार्टमेंट के अंतर्गत नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) हर साल WPI के आधार पर शेड्यूल्ड दवाओं के अधिकतम मूल्यों में संशोधन करता है.
दरअसल, ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर्स (DPCO) 2013 के प्रावधानों के अनुसार, दवाओं को शेड्यूल्ड और नॉन-शेड्यूल्ड फॉर्मूलेशंस के रूप में लिस्टेड किया गया है. DPCO की अनुसूची-1 में शामिल दवाएं, आवश्यक दवाओं की श्रेणी में आती हैं. इन्हीं दवाओं की कीमतों में हर साल संशोधन होता है.
इस साल भी हुआ संशोधन, लेकिन...
आधार वर्ष 2011-12 के साथ इस वर्ष WPI में वार्षिक बदलाव (+) 0.00551% रहा, जिसके आधार पर प्रतिशत था, जिसके आधार पर NPPA ने बीते 20 मार्च को हुई मीटिंग में लिस्टेड दवाओं के लिए संशोधन (WPI increase @ (+) 0.00551%) को मंजूरी दी है.
इस आधार पर, 782 दवाओं के लिए अधिकतम मूल्य में कोई बदलाव नहीं होगा, जबकि महज 54 दवाओं में 0.01 रुपये (1 पैसा) की मामूली वृद्धि होगी. अब चूंकि ये बढ़ोतरी मामूली है तो मेडिसिन मैन्युफैक्चरर्स इस बढ़ोतरी का लाभ उठा भी सकते हैं और नहीं भी. ऐसे में दवाएं महंगी होने की बात निराधार हो जाएगी.
यहां ये भी जानना जरूरी है कि नॉन-लिस्टेड फॉर्मूलेशन वाली दवाओं के मैन्युफैक्चरर्स भी ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर्स (DPCO) 2013 के प्रावधानों के मुताबिक, एक साल के भीतर MRP यानी अधिकतम खुदरा मूल्य 10% से अधिक नहीं बढ़ा सकते.