वित्त मंत्रालय ने इस हफ्ते सरकारी बैंकों (Government Banks) को लेटर लिखकर उनकी गोल्ड लोन बुक्स की समीक्षा करने को कहा है. मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर NDTV Profit को ये जानकारी दी है.
बैंकों को लिखी एक चिट्ठी में डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज ने मौजूदा गोल्ड लोन (Gold Loan) बुक, कोलैटरल के तौर पर रखे सोने की गुणवत्ता और ब्रांच के स्तर पर विंडो ड्रेसिंग की किसी कोशिश के पूरे विश्लेषण की मांग की.
बैंकों ने कैसे की गड़बड़ी?
इन लोगों ने बैंकों का नाम लिए बिना कहा कि दो बड़े सरकारी बैंकों ने प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां की हैं. कुछ मामलों में 18 कैरेट सोने की ज्वैलरी को रिकॉर्ड्स में 22 कैरेट के तौर पर दिखाया गया है. ऐसा सोने की वैल्यू बढ़ाकर ज्यादा गोल्ड लोन देने की कोशिश के लिए किया गया था.
भारतीय रिजर्व बैंकों ने बैंकों को सोने की वैल्यू के 75% तक के लोन देने की इजाजत दी है. एक व्यक्ति ने बताया कि बैंकों की ब्रांच महीने के आखिर में भी लोन बांट रहे थे, जब उन पर कोई कोलैटरल भी नहीं था. ऐसा पोर्टफोलियो के साइज को बढ़ाने और मंथली बिजनेस टार्गेट को हासिल करने के लिए किया जा रहा था.
रिटेल लोन में गड़बड़ियों पर सरकार की नजर
दूसरे व्यक्ति के मुताबिक वित्तीय विभाग का ये एक्शन फाइनेंशियल सर्विसेज सिस्टम में रिटेल लोन में गड़बड़ियों पर की जा रही कार्रवाई का एक हिस्सा है. पिछले हफ्ते RBI ने IIFL फाइनेंस को तमाम गड़बड़ियों की वजह से नए गोल्ड लोन को मंजूरी देने पर रोक लगाने के लिए कहा था. उसने नॉन-बैंक लेंडर को उसकी गोल्ड लोन बुक को बेचने या सिक्योरिटी पर देने से भी रोक लगाई.
RBI ने कोविड-19 महामारी के दौरान बैंकों के मामले में गोल्ड लोन के लिए लोन टू वैल्यू रेश्यो को 90% से घटाकर 75% कर दिया था. महामारी का असर कम होने के बाद लोन टू वैल्यू रेश्यो को पहले के समान कर दिया गया था.