ZEE के सुभाष चंद्रा के खिलाफ इंसोल्वेंसी प्रोसेस शुरू, IBHF ने NCLT में दायर की थी याचिका

इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंशियल सर्विसेज (IBHF) ने चंद्रा के खिलाफ निजी इंसोल्वेंसी की याचिका दी थी. चंद्रा ने विवेक इंफ्राकॉन प्राइवेट को 170 करोड़ रुपये का लोन दिया था.

Source: NDTV Profit

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के सुभाष चंद्रा के खिलाफ इंसॉल्वेंसी (Insolvency) की अर्जी को मंजूर कर लिया है. अब उनके खिलाफ चल रहे सभी मुकदमे रुक जाएंगे और वो अपने किसी भी एसेट को बेच नहीं सकेंगे. एक रेजोल्यूशन प्रोफेशनल अब रिपेमेंट के लिए क्रेडिटर क्लेम मैनेज करेगा.

क्या है पूरा मामला?

इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंशियल सर्विसेज (IBHF) ने चंद्रा के खिलाफ निजी इंसोल्वेंसी की याचिका दी थी. IBHF ने चंद्रा की पर्सनल गारंटी पर विवेक इंफ्राकॉन प्राइवेट को 170 करोड़ रुपये का लोन दिया था, जिस पर कंपनी ने डिफॉल्ट कर दिया. 30 मई 2022 को NCLT ने इंडियाबुल्स की रिक्वेस्ट का आकलन करने के लिए एक रेजोल्यूशनल प्रोफेशनल की नियुक्ति की थी.

हालांकि 2019 में कार्रवाई रूक गई थी जब सुप्रीम कोर्ट में इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के कुछ प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती मिली थी. ये प्रावधान निजी गारंटी से जुड़े थे.

SC ने दिया था बड़ा फैसला

जिन नियमों को चुनौती मिली है उनके तहत IBC क्रेडिटर्स या कंपनी के रेजोल्यूशन प्रोफेशनल को इंसोल्वेंसी के तहत निजी गारंटी लागू करने की इजाजत देता है. इसका मतलब है कि अगर इंसोल्वेंसी में मौजूद कंपनी के पास ऐसा प्रोमोटर है जो लोन पर गारंटी देता है तो क्रेडिटर्स, प्रोमोटर्स के खिलाफ स्वतंत्र या रेजोल्यूशन प्रोफेशनल के जरिए इंसोल्वेंसी फाइल कर सकते हैं.

सु्प्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में फैसला दिया था जिनके तहत इन संशोधन को वैधता मिली थी. इससे IBHF जैसी कंपनियों को निजी गारंटर्स के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया दोबारा शुरू करने की इजाजत मिली थी.

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